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अब विदेशों में भी होगा आयुर्वेदिक इलाज, आयुष मंत्रालय का नया प्लान
देश का आयुष मंत्रालय विश्व स्तर पर नई पहल करने जा रहा है। आयुष मंत्रालय के सचिव राजेश कोटेचा ने बताया कि जल्द ही आयुर्वेद की दवाएं विदेशों में भी उपलब्ध हो सकेंगी।
मंत्रालय के अनुसार पिछले कुछ सालों के दौरान आयुर्वेद से कई सफल दवाएं निकाली गई हैं। इनमें जैसे मधुमेह की दवा बीजीआर 34 ऐसी दवा है जिसे वैज्ञानिक एवं औद्यौगिक अनुसंधान परिषद सीएसआईआर ने आधुनिक वैज्ञानिक पद्धति से तैयार कर बाजार में उतारा है। इसके क्लिनिकल ट्रायल भी हुए हैं। Ayurvedic treatments is now going to available in foreign
इसी प्रकार सहेली गर्भनिरोधक व ऑर्थराइटिस की दवा समेत कई दवाएं हैं। लेकिन विदेशों में यह दवा के रूप में इसलिए अभी तक नहीं बिक पाती हैं क्योंकि इन्हें वहां के नियमों के मुताबिक दवा के रूप में पंजीकृत नहीं कराया गया है।
कई देशों में स्थापित किए जा रहे आयुर्वेद केंद्र
मंत्रालय डब्ल्यूएचओ की मदद से दवाओं के लिए मानक तय करने के बाद इन्हें हर देश में वहां के नियमों के अनुरूप दवा के रूप में पंजीकृत कराएगा। तब ये पोषक पदार्थ के रूप में नहीं बल्कि दवा के रूप में बिकेंगी। आयुष मंत्रालय की इस पर पहल पर एमिल फार्मास्यूटिकल के कार्यकारी निदेशक संचित शर्मा ने कहा कि यह भारत के लिए गर्व की बात होगी कि हमारे आयुर्वेद को दवा के रूप में दूसरे देशों के नागरिक भी अपनाएं। वे आयुर्वेद का लाभ उठाने के लिए भारत आते हैं। लेकिन अब उन्हें अपने देश में ही ये दवाएं तय नियमों के तहत मिलेंगी।
उन्होंने बताया कि भारत की ओर से कई देशों में आयुर्वेद केंद्र की स्थापना की जा रही है। पिछले माह ही रोमानिया में आयुष सूचना केंद्र का उद्घाटन उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू ने किया। अब आयुर्वेद दिवस पर सरकार आयुर्वेद की दवाएं विदेशों में बेचने और डाक्टर भी वहां प्रैक्टिस करने की पहल करने जा रही है। सचिव ने बताया कि विदेशों के दवा नियामक को देखते हुए आयुर्वेद की तमाम दवाओं को उन नियमों के अनुरूप लाने की तैयारी कर रहा है। जैसे दवाओं के पेटेंट हों। उनके क्लिनिकल ट्रायल किए जाएंगे। दवाएं गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस जीएमपी के अनुरूप बनाई जाएंगीं।
Ayurvedic treatments is now going to available in foreign