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Ban on cutting umbilical cord | शिशु जन्म के तुरंत बाद गर्भनाल काटने पर लगेगी रोक
Ban on cutting umbilical cord just after birth:
बच्चों का बेहतर स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार शिशु के जन्म के तुरंत बाद गर्भनाल काटने की प्रचलित आदत पर रोक लगाने में जुट गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने सभी राज्यों को पत्र लिखकर गुजरात का शिशु जन्म मॉडल अपनाने की सलाह दी है। इसमें मां के शरीर से बाहर आने तक बच्चे के शरीर से लगे हुए नाल को नहीं काटा जाता। इससे बच्चे को अधिक मात्रा में ऑक्सीजन मिलता है और बच्चे को कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं। शिशु जन्म के तुरंत बाद गर्भनाल काटने पर लगेगी रोक
स्वास्थ्य मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक मनोज झालानी की ओर से लिखे पत्र में कहा गया है कि जन्म के बाद शिशुओं का नाल विलंब से काटने से बच्चे को कई लाभ होते हैं। इसमें अधिक आयरन की उपलब्धता, प्रतिरोधक क्षमता और संज्ञानात्मक विकास शामिल हैं। पत्र में कहा गया है कि इस योजना का गुजरात में सफलता पूर्वक संचालन हो रहा है।
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राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के इसी सप्ताह होने जा रहे सम्मेलन में इसके बारे में और जानकारी दी जाएगी। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने योजना के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशानिर्देशों के मुताबिक, शिशु के जन्म के कम से कम एक मिनट बाद नाल को काटना चाहिए। गुजरात में इससे एक कदम और आगे बढ़ते हुए गर्भनाल के बाहर आने तक नाल नहीं काटी जाती। इसका सकारात्मक असर बच्चों के स्वास्थ्य पर दिख रहा है। अब मंत्रालय चाहता है कि इसे पूरे देश में लागू किया जाए। शिशु जन्म के तुरंत बाद गर्भनाल काटने पर लगेगी रोक
एम्स दिल्ली के पिडियाट्रिक विभाग के अध्यक्ष और नेशनल न्यूनटॉलजी फोरम ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. अशोक देवरारी ने विलंब से नाल काटने को ज्यादा बेहतर प्रक्रिया बताते हुए कहा कि पूरी दुनिया में शिशु जन्म में यही प्रक्रिया अपनाई जाती है। इसे लेकर डब्ल्यूएचओ की स्पष्ट गाइडलाइन है कि जन्म के एक मिनट से तीन मिनट के बीच नाल काटना चाहिए। इससे बच्चे के शरीर में पर्याप्त रक्त बन जाता है और उसका ब्लड प्रेशर सही रहता है।
देर से नाल काटने के लाभ:
- – बच्चे के शरीर में पर्याप्त रक्त बन जाता है
- – बच्चे का ब्लड प्रेशर और आयरन सही रहता है
- – बच्चे के मस्तिष्क को अधिक ऑक्सीजन मिलता है
- – बच्चे का संज्ञानात्मक विकास बेहतर होता है
- – बच्चे की प्रतिरोधिक क्षमता बढ़ जाती है
- – प्री-मैच्योर होने पर भी ब्रेन हैमरेज नहीं होता है
- – आगे रक्तअल्पता की शिकायत भी कम आती है
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सवाल भी उठा रहे विशेषज्ञ?
गर्भनाल बाहर आने तक नाल को नहीं काटने के गुजरात मॉडल को अपनाने के सरकार की एडवाइजरी पर कुछ विशेषज्ञ सवाल भी उठा रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जब डब्ल्यूएचओ का एक परखा हुआ मॉडल (जन्म के एक मिनट से तीन मिनट के बीच नाल काटना) मौजूद है, तो मात्र एक राज्य में किए गए प्रयोग के आधार पर नया मॉडल क्यों आजमाया जाए? Ban on cutting umbilical cord just after birth शिशु जन्म के तुरंत बाद गर्भनाल काटने पर लगेगी रोक