धात रोग क्या है | Dhat ka ilaj in hindi :
धात रोग व्यक्ति के शारीरिक क्षमता को कमजोर करके शरीर को बेजान बना देता है। इसमें मल या मूत्र के समय थोड़ा-सा भी जोर लगाने पर तुरन्त लिंग के मुख से वीर्य की बूंद या चिपचिपा पदार्थ टपकने लगती है या लार निकलने लगती है। Dhat rog ka ilaj | Dhat rog mein parhezयह शिकायत उन्हीं लोगों में ज्यादा होती है जिनका वीर्य किसी न किसी कारण से काफी पतला बन चुका होता हैं और इन्द्री की नसें भी कमजोर व ढीली प़ड़ चुकी होती हैं, क्योंकि ऐसी स्थिति में इन्द्री की नसों में पतले वीर्य को रोकने की शक्ति नहीं रहती और थोड़ा सा दबाव पड़ने की स्थिति में धात बहने लगती है, जिसके अधिक समय तक गिरने से व्यक्ति की कमर-शरीर व पिंडलियों में दर्द महसूस होने लगता है। Dhat rog ka ilaj | Dhat rog mein parhez | धात रोग का इलाज हिन्दी में
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उठते-बैठते चक्कर व कमजोरी की अनुभूति होती है जिससे वह अपना रोजाना का काम-काज भी पूरी चुस्ती-फुर्ती से नहीं कर पाता। ऐसी हालत में जब वह इधर-उधर के भ्रामक विज्ञापन पढ़कर ताकत-जवानी वाले किसी क्लिनिक या दवाखाने में जाता है तो वहां उसे बिना सोचे-समझे कुछ बाजारू उत्तेजक गोलियां दे दी जाती हैं। उसकी वास्तविक कमजोरी का कारण जानने की कोई कोशिश नहीं की जाती। धातु का इलाज असल में वही होता है जो पहले वीर्य की बर्बादी को रोके और ताकत को शरीर में संभालने की क्षमता पैदा करे उसके बाद ही ताकत बढेगी। Dhat rog ka ilaj in hindi | धात का इलाज हिन्दी में
धातु रोग के कारण | Dhat rog ke karan in hindi :
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- मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति जो बेवजह अनेक प्रकार की चिंताओं से घिरा रहता है या किसी शौक में रहता है, उनके शरीर में स्थित धातुएं दूषित होकर धातु पतली हो जाती है और व्यक्ति धातु दुर्बलता का शिकार हो जाता है|
- शरीर में किसी लम्बे समय से चली आ रही बीमारी के कारण या फिर शारीरिक दुर्बलता के कारण भी व्यक्ति को धातु रोग हो जाता है| Dhat ka ilaj in hindi | धात का इलाज हिन्दी में
- प्रयाप्त मात्रा में पौष्टिक भोजन जैसे: दूध, दही, मेवा, पौष्टिक आहार , दालें आदि का सेवन नहीं करता तब शरीर में: रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा और शुक्र का पर्याप्त मात्रा में निर्माण नहीं हो पाता, जिससे व्यक्ति की धातु पतली और कमजोर होकर वीर्य पतला हो जाता है , जिस कारण से धातु दुर्बलता या धात गिरना शुरू हो जाता है|
- अधिक मात्रा में मिर्च मसाले वाले आहार खाने से भी धातु दुर्बलता या धातु रोग हो जाता है|
- कमोतेजक पदार्थों का सेवन जैसे: लहसुन का अधिक सेवन, मांस, मदिरा, चाय कॉफी आदि का अधिक सेवन करने से भी मनुष्य की धातु दुर्बल या स्नायु दुर्बल होती है एवं व्यक्ति धातु रोग से पीड़ित हो जाता है,
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धात रोग के लक्षण | Dhat rog ke lakshan in hindi :
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- धातु दुर्बलता के कारण शरीर में शारीरिक, मानसिक कमजोरी और थकान महसूस होती है |
- व्यक्ति चिडचिडे स्वाभाव का हो जाता है और शरीर में तरह – तरह के रोग पैदा हो जाते है |
- धातु रोग से पीड़ित व्यक्ति का शरीर जल्दी ही सूखने लगता है |
- कामशक्ति की कमी
- सम्पूर्ण अंगो में थकावट
- अप्रसन्नता
- काम में मन न लगना
- उदासी
- पेट के रोग
- श्वास
- खांसी
- स्नायु दुर्बलता आदि|
धातु रोग की दवा | Dhat rog ki dawa :
धात रोग को पूरी तरह से सही करने के लिए आयुर्वेदीय औषधियों का सेवन करना चाहिए, इसके लिए आपको किसी अच्छे वैद्या से परामर्श लेकर औषधियों का निर्माण करा कर ही दवा लेनी चाहिए, Dhat ka ilaj in hindi | धात का इलाज हिन्दी में
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धातु रोग में परहेज / क्या खाना चाहिए क्या नहीं | Dhat rog mein parhez in hindi :
धात रोग होने पर रोगी को उचित औषधि के साथ कुछ परहेज रखने भी अतिआवश्यक होते है जैसे :
पीड़ित व्यक्ति को संतुलित एवं सुपाच्य भोजन का सेवन करना चाहिए|
तासीर में गरम पदार्थ जैसे: अधिक मिर्च मसालेदार भोजन, फ़ास्ट फ़ूड, तेल से तली हुई चीजें, सड़ा, बासी खाना, नशीले पदार्थ आदि से परहेज रखना चाहिए|
रोगी को चाहिए की वह संयमित दिनचर्या एवं योगासनों को अपनाये ताकि उसे औषधि का अधिक लाभ मिले| Dhat ka ilaj in hindi | धात का इलाज हिन्दी मे
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