
RO प्यूरीफायर के इस्तेमाल पर लगेगी रोक – RO water purifier will banned
आज के समय में RO का पानी पीना एक प्रचलन है और शायद की ऐसा कोई घर हो जहाँ इसका इस्तेमाल ना होता हो . अगर हम सफ़र में भी जाते है तो डिब्बा बंद पानी लेना पसंद करते है और उसीका सेवन करते है . लेकिन आपको पता नहीं होगा की आरो का पानी पीने के कितने नुकसान है . WHO यानी की वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन का कहना है की आज के समय में लगभग बीमारियाँ गन्दा पानी पीने की वजह से होती है और उससे भी अधिक बीमारियाँ आरो का पानी पीने की वजह से होती है . Danger of RO Water
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क्यों है RO का पानी खतरनाक?
दरअसल आरो का पानी पूरी तरह से शोधन की प्रक्रिया से होकर गुजरता है और इस शोधन की प्रक्रिया के दौरान पानी में मौजूद पपोषक तत्व कैल्शियम और मैग्निसियम पूरी तरह से खत्म हो जाते है और हमें वो पोषक तत्व ना मिल पाने की वजह से तरह तरह की बीमारियाँ होने लगती है . आइये जानते है इसके और नुकसान . Danger of RO Water
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मासपेशियों में कमजोरी:
जैसा की वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन द्वारा बताया गया है की इसकी वजह से पानी में मौजूद कैल्शियम पूरी तरह से नष्ट हो जाता है और कैल्शियम हमारे शरीर के लिए सबसे उपयोगी और जरूरी पोषक तत्व है , खासकर हमारे हड्डियों के लिए . इसके सेवन से हड्डियों में आये दिन कमजोरी आने लगती है क्योकि कैल्शियम नहीं मिल पाता और साथ साथ हड्डियों में दर्द और एंठन शुरू हो जाता है जो की धीरे धीरे एक गंभीर बीमारी का रूप ले सकती है.
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दिल की बीमारियाँ:
डॉक्टर्स का कहना है की आरो का पानी पीने से आपके ह्रदय की गतिविधि सही तरीके से नहीं होती और आपको गार्ट अटैक और हार्ट स्ट्रोक जैसी समस्याएं होने लगती है . इसीलिए अगर आप आरो का पानी पीते है तो आप ह्रदय सम्बंधित इन भयानक बिमारियों के लिए तैयार रहे .
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थकान:
पानी में भरपूर मात्रा में एंटीओक्सिडेंट होते है जो की हमारे शरीर को आलस से मुक्त करते है और शरीर में ऊर्जा का संचार करते है . लेकिन आरो के पानी में ये एंटी ओक्सिडेंट लगभग खत्म हो जाते है और जो पानी पीने पर हमें ऊर्जा मिलनि चहिये वो नहीं पाती और हम आलस और थकान से भर जाते है .
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मानसिक कमजोरी:
आरो का पानी पीने से मानसिक कमजोरी होती है क्योकि ब्रेन को क्रियाशील बनाये रखने के लिए एंटीओक्सिडेंट की जरूरत होती है जो की हमें सबसे अधिक पानी से मिलता है लेकिन आरो के पानी में ये ना के बराबर होते है इसीलिए मानसिक कमजोरी आने लगती है .
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आरो नहीं तो क्या है इसका विकल्प:
आज के समय में हमारे पीने का पानी इतना दूषित है की हमें ना चाहते हुए भी आरो का इस्तेमाल करना पड़ रहा है . लेकिन अगर आप खुद को स्वस्थ रखना चाहते है तो आप पानी को उबाले और उसे अच्छे से छान कर पियें जिससे आपको बहुत सारे फायदे होगे . उबला पानी पिए ना की आरो का पानी.
क्यों हो सकता है RO पर बैन?
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजरटी) ने आरओ प्यूरीफायर पर रोक लगाने संबंधी अधिसूचना जारी करने में हो रही देरी को लेकर पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को फटकार लगाई। अधिकरण ने जिन इलाकों में प्रति लीटर पानी में ठोस घुले तत्वों (टीडीएस) की मात्रा 500 मिलीग्राम से कम है वहां पर आरओ प्यूरी फायर प्रतिबंधित करने के आदेश दिए हैं।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की पीठ ने आदेश के अमल के लिए आठ महीने का समय मांगने संबंधी मंत्रालय की प्रार्थना को अतार्किक करार दिया। पीठ ने कहा, ‘‘अनुरोध अतार्किक और जनहित के मामले में देरी की कोशिश है। हालांकि, आवेदक (याचिकाकर्ता एनजीओ) ने कहा है कि इस देरी से उनको व्यावसायिक फायदा होगा जो ऐसा चाहते हैं लेकिन स्पष्ट सबूतों की अनुपस्थिति में हम इसमें नहीं जाएंगे।’’
अधिकरण ने कहा कि उसका आदेश विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट पर आधारित है जिसमें पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के प्रतिनिधि भी शामिल थे। इसे दंडात्मक प्रावधानों के साथ लागू करने के लिए किसी अन्य प्राधिकरण की अनुमति की जरूरत नहीं है। पीठ ने कहा, ‘‘पर्यावरण मंत्रालय को अब विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के आधार पर पहले ही जारी आदेश के आलोक में न केवल अधिसूचना जारी करनी चाहिए बल्कि घरेलू और वाणिज्यिक इस्तेमाल के साथ साथ औद्योगिक प्रक्रिया से होने वाले पानी के नुकसान के लिए वसूली करनी चाहिए।’’
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अधिकरण ने केंद्रीय भूमिगत जल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए)को एक हफ्ते के भीतर भूमिगत जल के आंकड़े अद्यतन करने को कहा है ऐसा नहीं करने पर प्राधिकरण के सदस्य सचिव को एक लाख रुपये देने होंगे। एनजीटी ने मामले की सुनवाई चार नवंबर को निर्धारित करते हुए आदेश दिया कि सीजीडब्ल्यूए सदस्य सचिव और पर्यावरण मंत्रालय के संयुक्त सचिव व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रह सकते हैं और अनुपालन रिपोर्ट पेश करें।
एनजीटी ने 500 मिलीग्राम टीडीएस प्रति लीटर पानी होने पर आरओ प्यूरीफायर पर रोक लगाने और पूरे देश में आरओ प्यूरीफायर से बर्बाद पानी के 60 फीसदी हिस्से को दोबारा इस्तेमाल करने के निर्देश दिए हैं।
हेडफ़ोन का इस्तेमाल करते हैं? सतर्क हो जाइए
ने आरओ प्यूरीफायर पर रोक लगाने संबंधी अधिसूचना जारी करने में हो रही देरी को लेकर पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को फटकार लगाई। अधिकरण ने जिन इलाकों में प्रति लीटर पानी में ठोस घुले तत्वों (टीडीएस) की मात्रा 500 मिलीग्राम से कम है वहां पर आरओ प्यूरी फायर प्रतिबंधित करने के आदेश दिए हैं।
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एनजीटी ने मामले की सुनवाई चार नवंबर को निर्धारित करते हुए आदेश दिया कि सीजीडब्ल्यूए सदस्य सचिव और पर्यावरण मंत्रालय के संयुक्त सचिव व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रह सकते हैं और अनुपालन रिपोर्ट पेश करें। उल्लेखनीय है कि एनजीटी ने 500 मिलीग्राम टीडीएस प्रति लीटर पानी होने पर आरओ प्यूरीफायर पर रोक लगाने और पूरे देश में आरओ प्यूरीफायर से बर्बाद पानी के 60 फीसदी हिस्से को दोबारा इस्तेमाल करने के निर्देश दिए हैं।
Danger of RO Water
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